दिल्लगी
मरहम जख्म पर लगाना आपको खूब आता है
हम इसी इंतज़ार में घायल हुए बैठे हैं
नज़र भर देख लो तो फूल खिल जाये चमन मे
हम उस नूर की चाहत मे पंखुरियाँ समेटे हैं
चिरागो की रौशनी का सबब है ये आँखे, जो देखे दीवाना हो जाए,
हम एक झलक पाने को उनकी, इस शमा के परवाने हुए बैठे हैं .
तेरे आने के पैगाम देती हवाएँ , यूँ मदमस्त बहे जाती है
हम तो उनके संग झूमता एक, बरसाती बादल बने बैठे हैं
करिश्मा कुदरत का हो, या फरिश्ता खुदा का
ये सवाल हम कब से जेहेन मे लिए बैठे हैं
तेरी बातों की महक थी या, इन अदाओं की खुशबू,
हम उस दिन से अपनी सासों को कैद किये बैठे हैं
न आएगी मौत भी तुझे देखे बिना, इन ज़ख़्मों कि किसे फ़िक्र है,
हम तेरे उस आखरी दीदार के लिए,जान हथेली पर लिए बैठे हैं.
शुक्रिया दोस्तों!
अर्पित
मरहम जख्म पर लगाना आपको खूब आता है
हम इसी इंतज़ार में घायल हुए बैठे हैं
नज़र भर देख लो तो फूल खिल जाये चमन मे
हम उस नूर की चाहत मे पंखुरियाँ समेटे हैं
चिरागो की रौशनी का सबब है ये आँखे, जो देखे दीवाना हो जाए,
हम एक झलक पाने को उनकी, इस शमा के परवाने हुए बैठे हैं .
तेरे आने के पैगाम देती हवाएँ , यूँ मदमस्त बहे जाती है
हम तो उनके संग झूमता एक, बरसाती बादल बने बैठे हैं
करिश्मा कुदरत का हो, या फरिश्ता खुदा का
ये सवाल हम कब से जेहेन मे लिए बैठे हैं
तेरी बातों की महक थी या, इन अदाओं की खुशबू,
हम उस दिन से अपनी सासों को कैद किये बैठे हैं
न आएगी मौत भी तुझे देखे बिना, इन ज़ख़्मों कि किसे फ़िक्र है,
हम तेरे उस आखरी दीदार के लिए,जान हथेली पर लिए बैठे हैं.
शुक्रिया दोस्तों!
अर्पित
Wow!
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